Wednesday, December 5, 2018

चाहत

 चिरागों को करो रोशन
अँधेरा दूर हो जाये
 जो  लगे काजल
खुद ब खुद नूर हो जाये
किसी को पाने की चाहत
दिलो में इस कदर रखो
 तुम्हारे पास आने को
वो खुद मजबूर हो जाये 

यार

ना किसी से मोहब्बत है ना किसी से प्यार
जो कुछ भी था वो ले गया मेरा यार

नज़रे झुका कर

नज़रे झुका कर
दिल लगाना कोई आप से सीखे


होठो को बंद कर
दिल का किस्सा सुनाना कोई आप से सीखे


मुस्करा दे
तो दिल किसी का रुक जाये वही


नज़रे उठा कर जमी पे
चाँद दिखना कोई आप से सीखे 

Tuesday, December 4, 2018

इश्क़ की डायरी से

उन्होंने जब दिल का हाल बताना छोड़ दिया
हमने भी उनके करीब जाना छोड़ दिया
जब उनको अहहास नहीं है दुरी का
तो हमने भी अहहास जाताना छोड़ दिया 

हौसला

 बड़े बड़े होसलो से निखर जाते है अक्सर
छोटे छोटे से हुनर कई
न जाने कितने बड़े हुनर सिसकते है अक्सर
कोनो में बिन होसलो के. 

Monday, December 3, 2018

गजब ख्वाब और इंतज़ार

आसुओ से तुम भी दोस्ती कर लो
दर्द होगा तो छलक आएंगे 
नाम आखो में इंतजार की रौशनी भर लो 
जब वो आएंगे मसुकुरा देना 

उस तरफ यार की नाराजगी का दौर जारी है 
इस तरफ आस है आने की जो नहीं थकती 
इतना मालूम है वो रूठे है मगर लौट आएंगे 
ये मेरे इश्क़ की इन्तहा और दुआ भी है 
देर हो जाये तो हो जाये मगर वो आयेगे 

आसुओ से भी तुम दोस्ती कर लो 
दर्द होगा तो छलक आएंगे। २
 नम आखो में इंतजार की रौशनी भर लो 
जब वो आएंगे मुस्कुरा देना 

अब तो पैमाने भी मुझसे है खफा यारो 
क्यों  इस रंगीन पानी में भी वो नज़र आये 
गम में हो तुम भी अगर मिलना मुझे मय खाने में 
तेरे गम और मेरे गम को मय में घोल देंगे 
अश्क़ की बूंदो में मैंने झाक कर देखा है 
नमी नहीं दिखी दर्द के समंदर नज़र आये 

 आसुवो से तुम भी दोस्ती कर लो 
दर्द होगा तो छलक आयेगे। २ 
नाम आखो में इंतजार की रौशनी भर लो 
जब वो आएंगे मुसकुरा देना 

मै उनकी जुल्फ की छाव में हर रोज सोता था
खुली आँखे तो ये जाना वो तपती धुप के
वो तपती धुप के दरिया में मुझे छोड़ गए
माना सब खाव्ब था  हा ये सब ख्वाब था मगर
कोई पूछे उनसे पूछे अगर मोह्हबत मेरी एक तरफ़ा थी
वो आये भी तो मेरे ख्वाब में भला क्यों आये

आसुओ से तुम भी दोस्ती कर लो
दर्द होगा छलक आएंगे। २
नम आखो में इंतजार की रौशनी भर लो
जब वो आएंगे मुस्कुरा देना

                                                                कलम से -ठाकुर देव
  



Sunday, December 2, 2018

दिल्लगी

 कही सुकून
तो कही आग में खुद को  जलना चाहता हूँ
कमब्खत दिल्लगी देख. .. तू मेरी कभी नहीं होगी
जानते हुए भी मई मै तुम्हे पाना चाहता हूँ


पेश है राहत इंदौरी साहब की रोमांटिक शायरी

  1.   इश्क़ ने गुथे थे जो गजरे नुकीले  है                                                                                                       तेरे हाथो में कंगन भी ढीले हो गए है                                                                                                     फूल बेचारे अकेले रह गए है साख पर                                                                                                 गावो की सब तितलियों के हाथ पिले हो गए                                                                                                
  2.   रोज तारो को नुमाइस में खलल पड़ता है                                                                                               चाँद पागल है अंधरे में निकल पड़ता है                                                                                                 उसकी याद आयी है सासो जरा धीरे चलो                                                                                             धड़कनो से भी इबाबत में खलल पड़ता है 

इश्क़ का दरिया

 दरिया है मेरी आँख में 
कतरा कतरा बहता है 
मै खुद में खोया रहता हु 
और तन्हाइयो का  कब्ज़ा  है 
उथला पुथला सब है और दर्द उठा है सीने में 
जब से गयी हो तुम मजा नहीं है जीने में 
सुकून की जो बारिश देती हो वो घटा खो गयी बदल की 
सब कुछ तो बर्बाद हो गया अब तेरी याद रह गयी सावन सी 
निकले है जो सुर मेरे उसमे तेरे प्यार का नगमा है 
मर मर के जो जीते है वो तेरे प्यार का सदमा है  

इश्क़ की डायरी से

 दिल हम उनको दे बैठे
देख लो जो हमसे ही नज़र फेर  बैठे 

Saturday, December 1, 2018

इश्क़ की डायरी से

 इंकार तेरा हर बार मुझे इकरार की वजह देता है
तेरा नाराज रहना मुझे प्यार की वजह देता है 
परेशा है सारी कायनात तेरे हुस्न के किस्सों से 
तेरा हुस्न कायनात को बहार की वजह है 

तमाम उम्र तुम्हे कित्ताबो में छुपा रखा था 
मगर तुम शायरी बन निकली तो लोगो ने शायर होने की सजा दी 
मैंने सिर्फ तुम्हारे बारे में लिखा था हर लफ्ज 
सब ने अपनी महबुबाओ को इनसे मुस्कारने की वजह दे दी 

बेकार की तकरार है की रूह मेरी हो जा मेरे जिस्म से गुजर कर 
मौजूद होने के लिए मेरे अंदर तो जाख ले मुझे जान ले 
तू जुड़ जाएगी कतरे कतरे से मेरे जिस्म से गुजर कर 

रोक रखा है कदमो को मेरी ओर आने से 
रोक रखा है जुल्फों को मेरे ऊपर बिखर जाने से
तू डरती नहीं खुदा से न ही तेरे जज्बातो से हालातो से  
तू डरती है बस ज़माने से   




समय के साथ बदलाव

बदलिए खुद को करके थोड़ा सा यत्न 
बदल सकती है दुनिया बस चहिये थोड़ा सा प्रयत्न 

एक शायर हु और जयदा क्या कहु 
बस यु ही शायरी से खुशिया बाटता रहु 

यह दुनिया बहुत जालिम है हर पल आपको ठगेगी 
छोटी छोटी खुशिया ढूढो जिंदगी आसान लगेगी 

हम आप से क्या कहे हुज़ूर 
एक बार जीना एक बार मरना है जिंदगी का दस्तूर

इश्क़ की डायरी से

ये कान्हा अब तेरे शहर में 
मुरली खरीदने वाला कोई नहीं। 
सब लोग को डी. जे. का चस्का लग गया
कोई इधर गया कोई उधर गया 

 

इश्क के गम

 अपना गम किस किस से बोला जाए हैं कितनी परेशानियां इश्क़ में  इसे कैसे तौला जाए