दरिया है मेरी आँख में
कतरा कतरा बहता है
मै खुद में खोया रहता हु
और तन्हाइयो का कब्ज़ा है
उथला पुथला सब है और दर्द उठा है सीने में
जब से गयी हो तुम मजा नहीं है जीने में
सुकून की जो बारिश देती हो वो घटा खो गयी बदल की
सब कुछ तो बर्बाद हो गया अब तेरी याद रह गयी सावन सी
निकले है जो सुर मेरे उसमे तेरे प्यार का नगमा है
मर मर के जो जीते है वो तेरे प्यार का सदमा है
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