इंकार तेरा हर बार मुझे इकरार की वजह देता है
तेरा नाराज रहना मुझे प्यार की वजह देता है
परेशा है सारी कायनात तेरे हुस्न के किस्सों से
तेरा हुस्न कायनात को बहार की वजह है
तमाम उम्र तुम्हे कित्ताबो में छुपा रखा था
मगर तुम शायरी बन निकली तो लोगो ने शायर होने की सजा दी
मैंने सिर्फ तुम्हारे बारे में लिखा था हर लफ्ज
सब ने अपनी महबुबाओ को इनसे मुस्कारने की वजह दे दी
बेकार की तकरार है की रूह मेरी हो जा मेरे जिस्म से गुजर कर
मौजूद होने के लिए मेरे अंदर तो जाख ले मुझे जान ले
तू जुड़ जाएगी कतरे कतरे से मेरे जिस्म से गुजर कर
रोक रखा है कदमो को मेरी ओर आने से
रोक रखा है जुल्फों को मेरे ऊपर बिखर जाने से
तू डरती नहीं खुदा से न ही तेरे जज्बातो से हालातो से
तू डरती है बस ज़माने से
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