- इश्क़ ने गुथे थे जो गजरे नुकीले है तेरे हाथो में कंगन भी ढीले हो गए है फूल बेचारे अकेले रह गए है साख पर गावो की सब तितलियों के हाथ पिले हो गए
- रोज तारो को नुमाइस में खलल पड़ता है चाँद पागल है अंधरे में निकल पड़ता है उसकी याद आयी है सासो जरा धीरे चलो धड़कनो से भी इबाबत में खलल पड़ता है
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