क्या सनम..!
इतना क्यों सितम ढाये जा रहे हो
आज मुझको
कल उनको
ऐसे ही सारे जहां को पटाये जा रहे हो
इतनी जल्दी क्या हैं
जो बिन बारीश बरसात कराए जा रहे हों
क्या सनम..!
इतना क्यो सितम ढाये जा रहे हो.
अपना गम किस किस से बोला जाए हैं कितनी परेशानियां इश्क़ में इसे कैसे तौला जाए