Saturday, January 5, 2019

मदद

एक बार एक टीचर अपने एक संपन्न परिवार के शिष्य को अपने साथ ले जाता है और बोलता है चलो आज मै तुम्हें जिंदगी का दूसरा हिस्सा दिखता हू वह उसे जंगल से होते हुये एक खेत मे ले जाता है खेत का जो बाडर होता है उस पर वो दोनों चल रहे होते हैं तो देखते हैं खेत के बीचोंबीच एक मजदूर मजदूरी कर रहा होता है तो टीचर बोलता है ये लोग ऐसे मेहनत करते हैं बहुत अच्छे लोग होते हैं शिष्‍य देखता है थोड़ी दूर पर फटे पुराने जूते और एक झोला जिसमे उसका एक टिफिन होता है शिष्‍य अपने टीचर से बोलता है मै एक मज़ाक करना चाहता हू इस मजदूर से इसका झोला छुपा देते हैं फिर देखते है ये मजदूर क्या करता है तो टीचर बोलता है नही हम कुछ अलग करते हैं तुम जाकर उसके झोले मे 100-100 के दो नोट रखदो फिर देखो क्या होता है टीचर उससे बोलता है आवो झाड़ी के पीछे छुपते हैं और देखेते हैं क्या होता है मजदूर मजदूरी करके वापस आता है अपने फटे पुराने जूते पहनता है जूते पहनकर झोला उठाता है और देखता है उस झोले के अंदर दो 100-100 के नोट रखे होते हैं नोट को बड़े गौर से और अपनी चारो तरफ देखता है कि कही कोई है तो नहीं ना.
और कहता है हे ईश्वर तूने आज मेरी सुनली. आज मुझे बीमार पत्नी की दवा लेने जाना था और आज ये पैसे का इन्तेजाम हो गया.
वो शिष्‍य अपने टीचर को देखता है और मुस्कुराता है और कहता है आज आपने मुझे सीखा दिया कि जिंदगी मे लेने से ज्यादा मज़ा देने मे जो सुख है आनंद है वो कही पर भी नहीं है.
इसलिए जिंदगी मे आप को भी नहीं मालूम कि कब ऊपर वाला किसी दूसरे को आप का ऊपर वाला बना कर भेज दे..
इसलिए सबका मदद करते रहिये आनंद लेते रहिये. 

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