एक लड़का मिला जो जिस्म का भुखा था. मै उस चेहरे को पहचान ना सकी। मुझे नहीं पता था ये मुझे उम्र भर दर्द देगा. वो जब मुझसे मिला बड़ा मासूम लगा। पहली ही मुलाकात में उस ने मेरा दिल जीत लिया। देखते ही देखते मै उसपे फिदा हो गयी। मै उसके इश्क़ मे इस कदर पागल हो गयी की माँ बाप से छुप कर उससे मिलने लगी. हल्की सी मुस्कान लेकर वो मुझे छूता रहता. वो मेरी हवस को जगाने की कोशिश करता रहता था।
वक्त के साथ साथ उसके प्यार का नसा मुझपे चडने लगा. अब मेरा भी जिस्म उसके जिस्म से मिलने के लिये तरसने लगा। मेरे इश्क़ के परवान को देख उसने मुझे अपने घर पे भोजन के लिए आमंत्रित किया. अब वहा पे मौका देख उसने मेरे बस्त्र मेरे जिस्म से अलग किया। जिस काम कि तलाश मे वो मिलता था। अब वो काम पूरा करना का मोका उस मिल गया था। उस रात वो मुझेपे टूट पड़ा। उस रात वो मुझपे असली रूप मे मिला.
अपनी जरूरत पुरा कर उसने मुझे जमीन पर फेख दिया। वो मुझे दिल कि रानी कहता था उस रात उसने मुझे तवायफ कह कर बुलाया. मोहब्बत उसने मुझसे नहीं मेरे जिस्म से किया था उसने मेरे मासूमियत के साथ खेला था. फिर मुझे छोड़ कर पाता नहीं कहा चला गया.
शायद अब वो मोहब्बत कि आड मे किसी और को तवायफ बनाने गया होगा। दिन गुजरते गये जख्म अब भी हरे थे. मै सोचती हु कि मोहब्बत कि रहो मे बहुत धोखे हैं हर मोड़ पे जिस्मों के आशिक मिल जाते है.
मै बस इतना कहना चाहूंगी.......
इस से पहले कि मिरे इश्क़ पर इल्ज़ाम धरो
देख लो हुस्न की फ़ितरत में तो कुछ झोल नही
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