Friday, November 30, 2018

कुछ यादे

भुला हु रास्ता मयखानो की तरफ की यारो 
कभी तलब जो हमें शराब की बेहतरीन लगती थी  

सुनी सुनी है यार के बिन ये जमी और आसमा 
कभी उसकी गली में ढलती साम बेहतरीन लगती थी 

आँखे बरसती है उसकी एक झलक की खातिर 
कभी बिन मौसम हुई बरसात बेहतरीन लगती थी 

यादो के तोहफे जो दिए उसने नजराने समझकर 
कभी उसके बातो की सौगात बेहतरीन लगती थी 

अब तो खुलेयाम मिलते है वो हमसे ख्वाबो में अक्सर  
कभी छुप छुप के मिलने की शुरुआत बेतरीन लगती थी 

शरू होते थे मुशायरे उसकी उठती पलकों को देख कर  
कभी उसकी झुकी पलकों के बीच ठहरी मुस्कान बेहतरीन लगती थी 

कैसे कहु जाकर उसे की तनहा हु मै बहोत उसके बिना 
कभी उसके साथ खायी कसमो की रात बेहतरीन लगती थी 

जीना है नितेश एक इसी उम्मीद को लेकर उम्र भर अब 
कभी उसके लिए मरजाने की बात बेहतरीन लगती थी    
  

ISHQ KI DAYARI SE


  1. वो क्या जानेगे टूटने का दर्द यारो 

जो टूटते तारो को देखकर भी कुछ मागना नहीं भूलते

    

SAMJHA KIJIYE

आँखे लाल देखकर क्यों है इतना हैरान समझा कीजिये
ये दिल पर लगे जख्मों के है निशान समझा कीजिये

मिलान और जुदाई के आलम हम से ना पूछिए साहब
इस मामले में हम थोड़े नादान समझा कीजिये

यु कुरेदा न करिये मेरे दिल के जख्म बार बार
रहते है हम कितना परेशान समझा कीजिये

कुर्बानी देनी पड़ती है किसी रिश्ते निभाने में
होता नहीं तोडना इतना समझा कीजिये

किताबें और लबो की भाषा सब कुछ नहीं होती
कभी कभार आखो की जबान समझा कीजिये 

Thursday, November 22, 2018

Motivation Quota

शिछा कि जड़ कड़वी है
लेकिन फल उसके मीठे है

Tuesday, November 20, 2018

इश्क़ की डायरी से

सफर मे मुस्किल आये तो जरूरत और बढ़ती है

कोई जब रास्ता रोके तो हिम्मत और बढ़ती है

अगर बिकने पे आजावो तो घट जाते है दाम अक्सर

ना बिकने का इरादा हो तो किमत और बढ़ने लगते है

Saturday, November 10, 2018

इश्क़ कि डायरी से

दवा भी काम न आये
दुआ भी काम न आये
मेरे खुदा किसी को प्यार कि हवा ना लगे

इश्क़ कि डायरी से

हम तो थे इश्क़ कि गली के भटके हुए मुसाफिर
इस नाचीज को रास्ता दिखाया है इसने
जब मै फसा था इश्क़ के दलदल मे
तब इस दलदल को तालाब बनाया इसने

इश्क के गम

 अपना गम किस किस से बोला जाए हैं कितनी परेशानियां इश्क़ में  इसे कैसे तौला जाए