Tuesday, November 20, 2018

इश्क़ की डायरी से

सफर मे मुस्किल आये तो जरूरत और बढ़ती है

कोई जब रास्ता रोके तो हिम्मत और बढ़ती है

अगर बिकने पे आजावो तो घट जाते है दाम अक्सर

ना बिकने का इरादा हो तो किमत और बढ़ने लगते है

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इश्क के गम

 अपना गम किस किस से बोला जाए हैं कितनी परेशानियां इश्क़ में  इसे कैसे तौला जाए