Sunday, August 26, 2018

इश्क़ की डायरी से

हाल जैसे भी हो मुस्कुराते रहो

अश्क कीमती है यू ही ना गिराते रहो

हस रहे है सब लोग हालत पे

प्रेम की राह ये सब भुला ते रहो

बेवफा वो नहीं वक्त दुश्मन बना

आंधियों से यहां सब छुपाते रहो

ढाल खुद को हकीकत की बुनियाद पे

आसिया साच का फिर बनाते रहो

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इश्क के गम

 अपना गम किस किस से बोला जाए हैं कितनी परेशानियां इश्क़ में  इसे कैसे तौला जाए