हाल जैसे भी हो मुस्कुराते रहो
अश्क कीमती है यू ही ना गिराते रहो
हस रहे है सब लोग हालत पे
प्रेम की राह ये सब भुला ते रहो
बेवफा वो नहीं वक्त दुश्मन बना
आंधियों से यहां सब छुपाते रहो
ढाल खुद को हकीकत की बुनियाद पे
आसिया साच का फिर बनाते रहो
अपना गम किस किस से बोला जाए हैं कितनी परेशानियां इश्क़ में इसे कैसे तौला जाए
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