ये जो इश्क़ का खंजर है
एक ऐसा मंजर है
चुभे तो खुन नहीं तो दर्द निकले है
अपना गम किस किस से बोला जाए हैं कितनी परेशानियां इश्क़ में इसे कैसे तौला जाए
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